व्याकरण प्रश्नोत्तरी

प्रश्न :- व्याकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :- शब्दों और वाक्यों को नियमबद्ध कर उनकी चिकित्सा करने वाले शास्त्र को व्याकरण कहते हैं ।

प्रश्न :- व्याकरण में कितने ग्रंथ हैं ?
उत्तर :- व्याकरण किसी एक शास्त्र का नाम नहीं बल्कि शास्त्रों का संग्रह है । इसमें पाणिनी मुनि के पाँच उपदेश ( अष्टाध्यायी, धातुपाठ, गणपाठ, उणादिकोष, लिङ्गानुशासनम् ) और पतंजलि मुनि द्वारा अष्टाध्यायी का भाष्य जिसे महाभाष्य कहा जाता है । ये व्याकरण ग्रंथ हैं ।

प्रश्न :- व्याकरण की रचना का प्रयोजन क्या है ?
उत्तर :- शब्दों के भ्रष्ट रूप हो जाने से भाषा बिगड़ जाती है और अर्थ भिन्न होने लगते हैं । इन्हीं व्यवधानों का समाधान करने के लिए व्याकरण शास्त्र रचा जाता है ।

प्रश्न :- व्याकरण की रचना किन किन के द्वारा हुई है ?
उत्तर :- समय समय पर व्याकरण की रचना मनुष्यों की बुद्धि के आधार पर ऋषियों द्वारा होती रही है । जिनमें गर्ग, ब्रह्मा, आग्रगायण, औपनमनव्य, उल्लूक, आपिशल, चन्द्रायण, शाकल्य, कश्यप, काश्कृत्सन् , पाणीनि, पतंजलि आदि मुनियों के नाम प्रसिद्ध हैं । प्रचीनतम व्याकरण केवल पाणीनि मुनि का ही उपलब्ध है । पाणीनि मुनि के व्याकरण से पूर्व इन्द्र का व्याकरण प्रचलित था ।

प्रश्न :- अष्टाध्यायी किसे कहते हैं ?
उत्तर :- आठ अध्यायों की पुस्तक को अष्टाध्यायी कहते हैं । जिनमें पाणिनीय सूत्र होते हैं ।

प्रश्न :- सूत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :- संक्षिप्त नियमों को सूत्र कहा जाता है ।

प्रश्न :- अष्टाध्यायी में कितने सूत्र हैं ?
उत्तर :- अष्टाध्यायी में 3980 के लगभग सूत्र हैं ।

प्रश्न :- सूत्रों से क्या प्रयोजन है ?
उत्तर :- सूत्रों से शब्दों और वाक्यों को आपसे में नियमबद्ध किया जाता है जिससे कि भाषा का मन्तव्य स्पष्ट हो ।

प्रश्न :- धातुपाठ आदि ग्रंथों के क्या प्रयोजन हैं ?
उत्तर :- ये सब अष्टाध्यायी के सहायक ग्रंथ हैं । जिनसे धातुरूप, प्रत्यय आदि के द्वारा शब्द बनाए जाते हैं ।

प्रश्न :- महाभाष्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :- अष्टाध्यायी सूत्रों के भाष्य को महाभाष्य कहते हैं । जिनसे शब्दों का दार्शनिक, वैज्ञानिक पक्ष जाना जाता है ।

प्रश्न :- पूरी व्याकरण को पढ़ने के लिए कितना समय लगता है ?
उत्तर :- व्याकरण पढ़ने में बुद्धि के अनुसार ४-५ वर्ष तक समय लगता है ।

प्रश्न :- व्याकरण किस विधी से पढ़ी जाती है ?
उत्तर :- सबसे पहले वर्णोच्चारण शिक्षा से उच्चारण शुद्ध किया जाता है और फिर अष्टाध्यायी सूत्रों को कंठस्थ करवाया जाता है और बुद्धि अनुसार बाकी के उपदेश धातुपाठ आदि कंठस्थ करवाकर अष्टाध्यायी की प्रथमावृत्ति पढ़ाई जाती है जिसमें सूत्रों के अर्थ से लेकर शब्द सिद्धी करी जाती है, प्रथमावृत्ति में लगभग 1 से 1.5 वर्ष लगता है । फिर शंका समाधान के साथ अष्टाध्यायी को दूसरी बार पढ़ना द्वितीयानुवृत्ति कहलाता है । द्वितीयानुवृत्ति में लगभग 8 से 10 मास लगते हैं । द्वितीयानुवृत्ति के बाद 1.5 से 2 वर्ष में महाभाष्य पढ़ा जाता है । तब व्याकरण पूर्ण होती है ।

प्रश्न :- व्याकरण पढ़ने से क्या होता है ?

उत्तर :- मनुष्य की बुद्धि तीव्र हो जाती है, खरबों शब्दों या अनंत शब्दों के शब्दकोष का वह स्वामी हो जाता है, समस्त शास्त्रों पर उसका अधिकार हो जाता है, वेदार्थ करने में गति हो जाति है, उसकी जीह्वा शुद्धता और वह व्यवहार कुशल हो जाता है, निरुक्त शास्त्र पढ़ने का वह अधिकारी हो जाता है ऐसे ही कई लाभ होते हैं ।

No comments:

Post a Comment