ईश्वर

ईश्वर


१) ईश्वर किसे कहते है ?
उत्तर = एक ऐसी वस्तु जो सब जगह विद्यमान है , चेतन है (conscious), निराकार है (no shape and size) अनंतज्ञान, अनन्तबल, अनन्त आनन्द, न्याय दया आदि गुण कर्म स्वभाव से युक्त है उसका नाम ईश्वर है |

२) ईश्वर का कोई रूप, रंग, भार, आकर, आदि है या नहीं ?
उत्तर= ईश्वर में ये गुण नहीं होते | इसी कारन ईश्वर को निर्गुण भी कहते है |

३) संसार को ईश्वर बनाता है या जीव बनाते हैं या अपने आप बन जाता है ?
उत्तर = ईश्वर बनाता है | जीवों के पास इतना ज्ञान व सामर्थ्य नहीं है की वे संसार को बना सकें | प्रकृति ज्ञानरहित तथा स्वयं क्रिया रहित होने से स्वयं संसार के रूप में नहीं आ सकती |

४) ईश्वर से हमारे क्या क्या सम्बन्ध हैं ?
उत्तर = ईश्वर हमारा माता,पिता,गुरु, राजा, स्वामी, उपास्य आदि है | और हम उसके पुत्र, शिष्य , प्रजा सेवक, उपासक आदि है |

५) ईश्वर जीवों से क्या चाहता है ?
उत्तर = ईश्वर जीवों से चाहता है की जीव उसकी आज्ञा का पालन करके संसार में सुखी रहें व मुक्तिपद को प्राप्त करें |

६) ईश्वर की आज्ञा क्या है, यह कैसे पता चलता है ?
उत्तर = वेदों के पढने से और ईश्वर के गुण, कर्म, स्वभावों को जानने से उसकी आज्ञाओं का पता लगा सकते हैं |

७) ईश्वर और आत्मा में क्या समानता है ?
उत्तर = ईश्वर और आत्मा में यह समता है की दोनों चेतन है पवित्र अविनाशी अनादि है , निराकार हैं |

८) ईश्वर और आत्मा में क्या भेद है ?
उत्तर = ईश्वर सर्वज्ञ है , आत्मा अल्पज्ञ हैं | ईश्वर के पास उत्कृष्ट सुख है आत्मा के पास सुख नहीं है वह सुख लेने के लिए ईश्वर के पास या संसार के पदार्थों में जाता है |

९) ईश्वर का मुख्य व निज नाम क्या है ?
उत्तर = 'ओ३म' यह परमात्मा का प्रधान निज नाम है | जैसे वेद में भी आया है " ओ३म क्रतो स्मर" |

१०) ईश्वर के मुख्य कार्य कौन कौन से है ?
उत्तर = ईश्वर के मुख्य रूप से ५ कार्य हैं -
१) सृष्टि को बनाना,
२) पालन करना,
३) संहार करना,
४) जीवों के कर्मो का फल देना,
५) वेदों का ज्ञान देना |

११) प्रलय में ईश्वर कुछ करता है या सो जाता है ?
उत्तर = प्रलय में ईश्वर मुक्तात्माओं को आनन्द भूगाता है |

१२) ईश्वर का ज्ञान सदा एक सा रहता है या घटता बढ़ता है ?
उत्तर = ईश्वर का ज्ञान सदा एकरस रहता है अर्थात घटता बढ़ता नहीं है तथा वह असत्य भी नहीं होता |

१३) संसार को किसने धारण किया हुवा है ?
उत्तर = ईश्वर ने अपने समर्थ से सब लोक-लोकान्तरों को ( संसार को ) धारण कर रखा है |

१४) ईश्वर के सुख व सांसारिक पदार्थों के सुख में कोई अन्तर है या नहीं ?
उत्तर = ईश्वर के सुख व सांसारिक पदार्थों के सुख में अन्तर है | ईश्वर का आनन्द स्थायी व पूर्ण तृप्ति देने वाला है जबकि सांसारिक पदार्थों का सुख क्षणिक व दुःख मिश्रित है |

१५) ईश्वर व जीवों के बीच कोई दुरी है या नहीं ?
उत्तर = काल स्थान की दृष्टी से जीव, ईश्वर से दूर नहीं है | ईश्वर हर समय, हर स्थान पर उनके साथ रहता है | परन्तु ज्ञान की दृष्टी से जीव ईश्वर से दूर हो जाते है | जो ईश्वर को नहीं जानते, मानते व उसकी भक्ति नहीं करते वे जीव, ईश्वर से दूर हैं |

१६) ईश्वर की क्या विशेषता है ?
उत्तर = ईश्वर सदा अपने आनंद में मग्न रहता है । ईश्वर में कोई  न्यूनता, कोई दोष नहीं है । उसे किसी भौतिक पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती ।

१७) ईश्वर किस किस  का स्वामी है ?
उत्तर = ईश्वर प्रकृति, जीवों, संसार व मोक्ष का स्वामी है ।

१८) क्या जीव अपने कर्मो का फल पूर्ण रूप से स्वयं ले सकते हैं ?
उत्तर = नहीं, कर्मों का फल ईश्वर के अधीन है । वह अपनी व्यवस्था से कर्मफल देता है ।

१९) क्या भक्त अपने सामर्थ्य से ईश्वर का दर्शन ( अनुभूति ) कर सकता है ?
उत्तर= नहीं, जबतक  ईश्वर से ज्ञान विज्ञानं न मिले व ईश्वर की कृपा न हो तब तक भक्त उसका दर्शन ( अनुभूति ) नहीं कर सकता ।

२०) जब परमेश्वर जन्म नहीं लेता तब निर्गुण व जब जन्म  तब सगुन कहलाता है । क्या यह बात ठीक है ?
उत्तर = नहीं, सगुन व निर्गुण का अर्थ  ही है । सर्वज्ञता, सर्वव्यापकता आदि गुणों से  सहित होने से उसे सगुण व जड़त्व ,मूर्खत्व , राग-द्वेष आदि गुणों से रहित होने से ईश्वर को निर्गुण कहते है ।

२१) ईश्वर को जानने के पश्चात  योगी को क्या अनुभूति होती है ?
उत्तर = ईश्वर को जानने के पश्चात योगी को यह अनुभूति होती है  जो जानना था सो जान  लिया, जो पाना था सो पा लिया , अब कुछ  जानना या प्राप्त करना बाकि नहीं रहा ।

२२) मनुष्य जन्म पाकर करने योग्य सबसे महत्व पूर्ण कार्य कौन सा है ?
उत्तर = ईश्वर को समझना व उसकी अनुभिति करना ( प्रत्यक्ष करना )  पूर्ण कार्य है ।

२३) क्या ईश्वर विरक्त है ?
उत्तर = नहीं, जो प्राप्त हुए पदार्थ को छोड़ दे उस विरक्त कहते है ईश्वर सर्वव्यापक होने से किसी पदार्थ को नहीं छोडता इस दृष्टी से  नहीं है ।

 २४) क्या ईश्वर जीवों में  पदार्थों में राग रखता है ?
उत्तर = नहीं , राग अपने से भिन्न उत्तम पदार्थ में होता है ।  ईश्वर से कोई  भी जीव या सांसारिक पदार्थ उत्तम नहीं है ।  अतः ईश्वर किसी से भी राग नहीं रखता है ।

२५) क्या ईश्वर इस संसार के बहार भी है ?
उत्तर= हाँ , है । अपितु ईश्वर इतना महान है कि यह सारी  सृष्टि तो उसके सामने परमाणु के तुल्य भी नहीं है ।

 २६) क्या ईश्वर हमे प्रतिदिन शिक्षा देता है ?
उत्तर = जी, हाँ । जीव बुरे या अच्छे काम करने की इच्छा करता है तो अंदर से भय, लज्जा , शंका या आनन्द , उत्साह , निर्भयता प्राप्त होते है । यह अंतर्यामी ईश्वर  शिक्षा है जिससे जीव बुर व अच्छे कर्मों को जान सकता है  ।

२७) क्या संसार में ईश्वर का अभाव होता है ?
उत्तर = नहीं, संसार का तो प्रलय में आभाव हो जाता है परन्तु उस समय भी ईश्वर व जीव व प्रकृति रहते है उनका तीनो कालो में अस्तित्व रहता है ।

२८) मनुष्य संसार की हानि करते हैं तो क्या ऐसे में ईश्वर उन्हें देखकर दुःखी होता है ?
उत्तर = नहीं । परन्तु जो पापी हैं उन्हें अच्छा नहीं मानता व जो पुण्यात्मा है उन्हें अच्छा मानता है व उन्हें भय शंका  रूप में दंड देता है उन्हें उत्साह, प्रेरणा भी देता है ।

२९) ईश्वर का दर्शन कौन करते है ?
उत्तर = वेद आदि शास्त्रों के विद्वान, धर्मात्मा व योगी मनुष्य ही ईश्वर  साक्षात्कार कर सकते है ।

३०) क्या ईश्वर शरीर धारण करता या रोगी,  बूढ़ा होता है ?

उत्तर = नहीं, ईश्वर कभी शरीर धारण नहीं करता है । न तो रोगी बूढ़ा होता है वह तो बिना शरीर  अपने सब कार्य अपने सामर्थ्य से कर सकता है ।

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