अथ पेरियार रचित "सच्ची
रामायण" खंडनम्।
धर्मप्रेमी सज्जनों ! मर्यादा पुरुषोत्तम
श्रीराम तथा योगेश्वर श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति के दो आधार स्तंभ हैं।केवल सनातनधर्म
के लिये ही नहीं अपितु मानव मात्र के लिये श्रीराम और श्रीकृष्ण आदर्श हैं।किसी के
लिये श्रीरामचंद्र जी साक्षात् ईश्वरावतार हैं तो किसी के लिये एक राष्ट्रपुरुष,आप्तपुरुष
और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।परंतु इन दोनों श्रेणियों ने श्रीराम का गुण-कर्म-स्वभाव
सर्वश्रेष्ठ तथा अनुकरणीय माना है। समय- समय पर भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात करने
के लिये नास्तिक,वामपंथी अथवा विधर्मी विचारधारा वाले लोगों ने ” कृष्ण तेरी गीता जलानी पड़ेगी”, “सीता का छिनाला”,” रंगीला कृष्ण ”
जैसे घृणास्पद साहित्य की रचना की।इन पुस्तकोॉ का खंडन भी आर्यविद्वानों ने किया है।इसी
परंपरा ( या कहें कुपरंपरा) में श्री पेरियार रामास्वामी नाइकर” की पुस्तक ” सच्ची
रामायण ” है।
मूलतः यह पुस्तक तमिल व आंग्लभाषा में लिखी गई
थी। परंतु आर्यभाषा में भी यह उपलब्ध है। पेरियार महोदय ने उपरोक्त पुस्तक में श्रीराम,भगवती
सीता,महाप्राज्ञ हनुमान् जी, वीरवर लक्ष्मण जी आदि आदर्श पात्रों( जो जीवंत व्यक्तित्व
भी थे)पर अनर्गल आक्षेप तथा तथ्यों को तोड़- मरोड़कर आलोचना की है। पुस्तक क्या है,
गालियों कापुलिंदा है। लेखक न तो रामजी को न ईश्वरावतार मानते हैं न ही कोई ऐतिहासिक
व्यक्ति । लेखक ने श्रीराम को धूर्त,कपटी,लोभी,हत्यारा और जाने क्या-क्या लिखा है।वहीं
रावण रो महान संत,वीर,ईश्वर का सच्चा पुत्र तथा वरदानी सिद्ध करने की भरसक प्रयास किया
है। जहां भगवती,महासती,प्रातःस्मरणीया मां सीता को व्यभिचारिणी,कुलटा,कुरुपा,अंत्यज
संतान होने के मनमानै आक्षेप लगाये हैं,वहीं शूर्पणखा को निर्दोष बताया है। पेरियार
साहब की इस पुस्तक ने धर्म विरोधियों का बहुत उत्साह वर्धन किया है।आज सोशल मीडिया
के युग में हमारे आदर्शों तथा महापुरुषों का अपमान करने का सुनियोजित षड्यंत्र चल रहा
है। यह पुस्तक स्वयं वामपंथी,नास्तिक तथा स्वयं को महामहिम डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर
का अनुयायी कहने वालों में खासी प्रचलित है।आजकल ऐसा दौर है कि भोगवाद में फंसे हिंदुओं(आर्यों)
को अपने सद्ग्रंथों का ज्ञान नहीं होता। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं:- कलिमल ग्रसे ग्रंथ सब,लुप्त हुये सदग्रंथ। दंभिन्ह
निज मत कल्प करि,प्रगट किये बहु पंथ।। ( मानस,उत्तरकांड दोहा ९७ क ) अर्थात् ” कलियुग
में पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया।दंभियों ने अपनी बुद्धि कल्पना कर करके बहुत से
पंथ प्रकट कर दिये।” इसी विडंबना के कारण
जब भोले भाले हिंदू के समक्ष जब इस घृणास्पद पुस्तक के अंश उद्धृत किये जाते
हैं तो धर्मभीरू हिंदू का खून खौर उठता है।परंतु कई हिंदू भाई अपने धर्म,सत्यशास्त्रों
का ज्ञान न होने के कारण ग्लानि ग्रस्त हो जाते हैं।उनका स्वाभिमान घट जाता है, अपने
आदर्शों पर से उनका विश्वास उठ जाता है। फलस्वरूप वे नास्तिक हो जाते हैं या मतांतरण
करके ईसाई ,बौद्ध या मुसलमान बन जाते हैं। “सच्ची रामायण” का आजतक किसी विद्वान ने
सटीक मुकम्मल जवाब दिया हो, ऐसा हमारे संज्ञान में नहीं है।अतः हमने इस पुस्तक को जवाब
के रूप में लिखने का कार्य आरंभ किया है।
इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य
१:-
पेरियार साहब की पुस्तक जो श्रीराम जी के निष्पाप चरित्र रर लांछन लगाती है का समुचित
उत्तर देना।
२:-
आम हिंदू आर्यजन को ग्लानि से बचाकर अपने धर्म संस्कृति तथा राष्ट्र के प्रति गौरवान्वित
कराना।
३:-
श्रीराम के दुष्प्रचार,रावण को अपना महान पूर्वज बताते,तथा आर्य द्रविड़ के नाम पर
राजनैतिक स्वार्थपरता, छद्मदलितोद्धार तथा अराष्ट्रीय कृत्य का पर्दाफाश करना।
४:-
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी के पावन,निर्मल,आदर्श चरित्र को मानव मात्र के
लिये श्लाघनीय तथा अनुकरणीय सिद्धकरना।
ओ३म विश्वानिदेव सवितर्दुरितानी
परासुव यद्भद्रं तन्न आसुव। यजुर्वेद:-३०/३ अर्थात् ” हे सकल जगत् के उत्पत्ति कर्ता,शुद्धस्वरूप,समग्र
ऐश्वर्य को देने हारे परमेश्वर!आप ह मारे सभी दुर्गुणों,दुर्व्यसनों और दुःखो को दूर
कीजिये।जो कल्याणकारक गुण-कर्म-स्वभाव तथा पदार्थ हैं वे हमें प्राप्त कराइये ताकि
हम वितंडावादी,असत्यवादी,ना स्तिक पेरियारवादियों के आक्षेपों का खंडन करके भगवान श्री
रामचंद्र का निर्मल यश गानकर वैदिक धर्म की विजय पताका फहरावें।
।।ओ३म शांतिः शांतिः शांतिः।।
(
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये धन्यवाद । खंडन कार्य अगली पोस्ट से प्रारंभ होगा। पुस्तक
लेखन का कार्य चल रहा है। कृपया खंडन पुस्तक का नाम भी सुझावें। पोस्ट जितना अधिक हो
प्रचार करें ताकि नास्तिक छद्मता का पर्दाफाश हो।) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम चंद्र
की जय। योगेश्वर श्रीकृष्ण चंद् की जय |